Monika garg

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लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज# बाई सा (दीदी)

आज समर खाना खा कर लेटा तो दस वर्षीय उसका बेटा सोनू पापा से जिद करने लगा ,"पापा प्लीज कोई ऐसी बात बताओं जिसने आप को कभी बहुत डराया हो।" समर थका हुआ था सोई सोनू से बोला ,"आज नही फिर कभी अभी सोते है चलों ।" पर सोनू की जिद बराबर जारी थी। समर ने देखा सरोज रसोईघर मे कुछ काम कर रही है सोई उसे समय लगेगा सोने मे तो उसने सोनू की जिद को मान लिया और वह यादों के भंवर मे उलझता चला गया।
बात बहुत पुरानी थी जब वह कालेज का विद्यार्थी था। कालेज के चार पांच दोस्तों ने राजस्थान घुमने का प्रोग्राम बनाया। वे चारों बस से राजस्थान घुमने चल दिए। शाम को पांच बजे की बस थी सबने अपने साथ थोडा थोड़ा समान पैक कर लिया था। एक एक शाल भी रख ली थी अकसर राजस्थान की रातों मे जब रेत ठंडा हो जाता है तो ठंड का अहसास होता है। बस अपने गंतव्य की ओर चली जा रही थी। बाड़मेर मे एक दोस्त के यहां रुक कर ही आगे जाने का विचार था। बस बहुत ही बेकार स्थिति मे थी। खचाडा बस के होते हुए भी बस का ड्राइवर उसे ऐसे चला रहा था जैसे उसे बहुत जल्दी हो गंतव्य पर पहुंचने की ।खैर समर और उसके दोस्तों को तो मजा आ रहा था वो एफ एम पर जितने भी राजस्थानी गाने सुने थे। सभी को गाते जा रहे थे। कुछ बुढ़े लोग भी थे उस बस मे वे उस बस ड्राइवर को कह रहे थे ,"भाई थेह धीरे कोंनी चलावै कै।" पर जैसे ड्राईवर को तो  धुन सवार थी बस भगाने की सभी के पेट का कचूमर बन गया था। तभी सहसा बस तेज आवाज के साथ चरररर करके रुक गयी। कंडक्टर ने नीचे उतर कर देखा तो आगे के दोनों टायर पंचर हो गये थे। तभी सारी सवारी नीचे उतर आयी।  समर और उसके साथियों को ये बड़ा ही रोमांचक लग रहा था। तभी एक खनखनाती आवाज ने उन सब का ध्यान भंग कर दिया ठुडी तक का घूंघट ओढ़े एक सत्रह अठारह साल की लड़की लालटेन लिए सड़क किनारे खड़ी थी रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे सड़क इतनी सुनसान थी कि बंदा क्या चिड़िया का बच्चा भी नही दिखाई दे रहा था। वह लालटेन लिए बोली,"महानै पतों था यो बस यही खराब होसी। ताई मारे मेह आठै आयी थी ताहरी मदद वास्ते । चालों सा तेह सगरा म्हारी यो पास मे ही हवेली है जो थके मांदे मुसाफिर वास्ते ही है उठै पधारै सा।" यह कह कर वह लालटेन लेकर आगे आगे चलने लगी और सारे मुसाफिर पीछे पीछे वह उन सब को लेकर अपनी हवेली पर आ गयी और सब के रहने का इंतजाम कर दिया।  समर और उसके साथी एक हाल नुमा कमरे मे चादर बिछा कर सो गये।वह लड़की बोली ,"सा इब थैह लोग आराम करो सवेरे बस ठीक करवा के ही प्रस्थान कीजो। यह कह कर वो लड़की वहां से चलीं गयी। समर के साथी तो थकान के मारे सो गये पर समर को नींद नही आ रही थी । उसे बड़ा अजीब लग रहा था इतने सुनसान इलाके मे ये लड़की जैसे उनकी ही प्रतिक्षा कर रही थी। थोड़ी देर बाद समर को भी नींद आ गयी ।जब वे चारों पांचों सुबह उठे तो दंग रह गये उन्होंने अपनेआप को एक खंडहर के अंदर फर्श पर लेटे पाया।  सारे यात्री गायब थे वहां पर ऐसा लग ही नही रहा था कि बरसों से कोई वहां आया हो। वे सारे दोस्त अपना सामान उठाकर भाग लिए जब मेन हाइवे पर आये तो सामने से उन्हें एक आदमी आता दिखाई दिया । उन्हें इस तरह से खंडहर की ओर से भागते हुए आता देख कर वह ठहर गया।  समर ने उससे सारी बातें बताई तो वो बोला,"धन घड़ी धन भाग थेह लोगा तो बाई सा के प्रताप से बच ग्या यो देखो बाई सा की समाधि जिस बस का थेह जिक्र कर रहियो है वो तो आज से सात साल पहला इसी रास्ते पै आगे के टायर फट के उलट गी थी जिसके सारे मुसाफिर मर गये। वो बस अब भी कभी कभी बस अड्डे से चालै है पर यो म्हारी बाई सा की समाधि के आगे उस ड्राइवर की ऐसी तैसी हो जावै । म्हारी बाई सा अनजान मुसाफिरा ने बचा लेवे उन बस के भूतों से। थारी यै बड किस्मत है जो थेह ने म्हारी बाई सा बचा लायी।"
समर के हाथ पैर ठंडे पड़ गये थे वह उससे बोला,"यो बाई सा कौन है‌?"
वह आदमी बोला ,"बाई सा भी तो इसी बस से अपने घर आ रही थी।पन कहवै है ना अच्छी आत्मा सब को भला चाहवै।"
समर ने सोनू को देखा वह डरा हुआ था तब उसे पुचकारते हुए समर ने कहा ,"डरने की जरूरत नही है बेटा ।वो देखो बाई सा हमारी रक्षा कर रही है।"यह कह कर जैसे ही सोनू को खिड़की पर खड़ी वो ही लालटेन वाली औरत को दिखाने लगा तो सोनू सो चुका था समर बाई सा को देख मंद मंद मुस्कुरा रहा था।


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